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सोहराय मिलन समारोह में शामिल हुए सीएम हेमंत, कहा - प्रकृति को बचाने में आदिवासी समाज की अहम भूमिका

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रांची 
सोहराय पर्व हमारी सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक है। हम सभी प्रतिवर्ष इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। आदिवासी समाज आज के दिन अनेक रीति-रिवाज के साथ प्रकृति की पूजा करते हैं। आज आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाने की जरूरत है। सोहराय पर्व के माध्यम से हमसभी एकता एवं सौहार्द का संदेश देते हैं। यह पर्व परिवार एवं प्रकृति से जुड़ा पर्व है। यह एक ऐसा त्योहार है, जिसमें भाईचारा, समानता तथा भाई-बहन का प्रेम झलकता है। उक्त बातें मुख्यमंत्री  हेमन्त सोरेन ने आज रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप, मोरहाबादी में आयोजित "सोहराय मिलन समारोह-2025" में कहीं।

प्रकृति को संरक्षित करने में आदिवासी समाज की अहम भूमिका 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए हमसभी को एकजुट होने की जरूरत है। आज प्रकृति को संरक्षित करने में आदिवासी समाज की अहम भूमिका है। इस भौतिकवादी युग में जल, जंगल और जमीन से छेड़छाड़ हो रहा है। आदिवासी समाज हमेशा से जल-जंगल और जमीन की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया है। इसलिए जरूरत है कि समाज के सभी लोग मिलजुल कर जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा के संरक्षण के लिए आगे आएं। 

सर्वांगीण विकास हेतु सरकार प्रतिबद्ध

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी के समाज के सर्वांगीण विकास के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार द्वारा आदिवासी योजना के तहत जनजातियों के आर्थिक, समाजिक एवं सर्वांगीण विकास के लिए कई महत्वाकांक्षी कार्य हुए है। कई महत्वपूर्ण योजनाएं भी संचालित की गई है। यहां के जनजातियों का एकीकृत ढंग से विकास करना, जनजातियों को सुरक्षा देना एवं जनजातियों को शोषण मुक्त करना सरकार की प्राथमिकता है। आने वाले समय में हमारी सरकार समाज के वंचित वर्गों के सामाजिक-आर्थिक और समग्र विकास को सुनिश्चित करने में प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ेगी। इस अवसर पर मंत्री  चमरा लिंडा, राजधानी सांवता समिति के संरक्षक  सनातन मरांडी,  अर्जुन मरांडी, अध्यक्ष  मेघलाल सोरेन, डॉ. दिनेश मुर्मू,  सुधीर सोरेन,  संजय हांसदा,  विनय टुडू एवं राजधानी सांवता समिति के सभी पदाधिकारीगण मौजूद थे।

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